प्राय: हम ,
भौतिक सम्पन्नता की चाह में ,
अपने को खो देते हैं !
यह कथित सम्पन्नता ,
दूसरों में प्रेम नहीं ,
इर्षा जगाती है !
अपने साथ अपने खोने का
भय लाती है !
दूसरी ओर अपनत्व का भाव ,
प्रेम की सम्पन्नता ,
निडर बनाती है !
अभय जीना ही ,
जीवन की सार्थकता है ,
इसे
किसी भी परिस्थिति में मत खोना ,
हमेशा ,
अपने होकर रहना ;
निडर होकर जीना !!
भौतिक सम्पन्नता की चाह में ,
अपने को खो देते हैं !
यह कथित सम्पन्नता ,
दूसरों में प्रेम नहीं ,
इर्षा जगाती है !
अपने साथ अपने खोने का
भय लाती है !
दूसरी ओर अपनत्व का भाव ,
प्रेम की सम्पन्नता ,
निडर बनाती है !
अभय जीना ही ,
जीवन की सार्थकता है ,
इसे
किसी भी परिस्थिति में मत खोना ,
हमेशा ,
अपने होकर रहना ;
निडर होकर जीना !!
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