रविवार, 21 दिसंबर 2014

तुम भी शंकर बन सकते हो !

यदि तुम विष पी सकते हो तो ,
तुम भी शंकर बन सकते हो !

तुम्ही बताओ कौन बात में
शिव हम तुम से न्यारे थे ?
फिर भी वे तैंतीस कोटि 
देवों के अति प्यारे थे !

जीवन गरल प्रत्येक देव का ,
अपने प्याले में डाला ,
चेहरे पर मुस्कान बिखेरी ,
पी डाला भरकर प्याला !

विषम परिस्थिति में यदि तुम भी ,
मानव को सहयोग करो ,
नूतन गंगा बह सकती है ,
तुम भी शंकर बन सकते हो !

देव दनुज में है समरसता ,
वे सबको देते वरदान ,
यदा कदा तो स्वयं उन्ही के ,
पड़ जाते संकट में प्राण !

अवढर दानी जीवन उनका ,
बांधे कटी में मृग छाला ,
त्रिशूल हाथ में नृत्य तांडव ,
फिर भी है भोला भला !

दुश्मन को सर्पों जैसा तुम
जिस दिन कंठ लगा लोगे ,
हर जन करे तुम्हारी पूजा
तुम भी शंकर बन सकते हो !

स्वाभिमान के बनो हिमालय
राख राम अपने तन में ,
देने में तुम बनो देवता ,
हरी नाम जपकर मन में !

एक हाथ में सत्य अहिंसा
एक हाथ में ले त्रिशूल
एक पाँव हो प्रगति पथ पर
और दूसरा दुष्ट समूल !

जन जन की आशाएं पुष्पित
यदि जीवन में कर सकते
रुढी रीतियों का विनाश कर
तुम भी शंकर बन सकते हो

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