रविवार, 29 नवंबर 2015

"भौचक जनता "

जो लोग
बेईमानी का दूध पीकर बड़े हुए हैं 
उन्होंने सुनी है बचपन से 
हिंसा भरी लोरियाँ 
बचपन से खेले हैं 
मक्कारी के खिलोनो से 
हैवानियत के मदरसे में पढ़े हैं 
धूर्तता का पाठ 
जहाँ 
स्वार्थ में डॉक्टरेट किये मास्टरों ने 
लिखना सिखाएं हैं 
चाकुओं से अक्षर 
बड़े होते ही हो गए वे भर्ती 
भेदभाव के कॉलेज में /
जात पात धर्म का लेकर सहारा ,
पाई हैं डिग्रीयां 
जीवन  में पाई है ,सफलता -
धन कॉल गर्ल 
भ्रष्टाचार ,हिंसा से 
जब वे ही लोग 
कानून व् नियम की बात करते हैं 
जनता भौचक रह जाती है 
कुछ समझ नहीं पाती है 
तालिया बजती है //